Brahmakumaris Ambikapur
बलरामपुर में नवनिर्मित सेवा केंद्र का उद्घाटन
बलरामपुर,6-12-19:- विश्व में बढ़ती हिंसा, तनाव ,अशांति के बीच राजयोग मेडिटेशन द्वारा शांति की शीतलता प्रदान करने वाली अपने 83 वर्ष पूर्ण कर चुकी अंतरराष्ट्रीय संस्था प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा बलरामपुर में नवनिर्मित सेवा केंद्र का उद्घाटन लौह नगरी भिलाई से पधारी राजयोगिनी ब्रम्हाकुमारी आशा दीदी एवं सरगुजा संभाग की संचालिका, वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका ब्रम्हाकुमारी विद्या दीदी जनपद पंचायत सीतापुर के उपाध्यक्ष शैलेश सिंह जी एवं राम भाई राम के कर कमलों द्वारा रिबन काटकर संपन्न हुआ। तत्पश्चात मुख्य अतिथियों द्वारा परमात्म स्मृति में दीप प्रज्ज्वलन कर सेवाकेंद्र का उद्घाटन किया गया। राजयोगिनी आशा दीदी ने अपने आशीर्वचन में कहा कि इस नए सेवाकेंद्र द्वारा बलरामपुर एवं इसके आसपास क्षेत्रों के वासियों को राजयोग मेडिटेशन एवं आध्यात्मिक ज्ञान द्वारा सुख शांति की किरणों द्वारा उनके जीवन में प्रकाश फैलायेगा। इसके पश्चात आमंत्रित मुख्य अतिथियों एवं ब्रह्मावत्सो द्वारा नए सेवा केंद्र में परमात्मा शिव का ध्वजारोहण कर संगठित रूप से राजयोग मेडिटेशन का अभ्यास किया। इस उद्घाटन के अवसर पर बड़ी संख्या में ब्रह्मावत्सो एवं शहर के गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे एवं परम श्रद्धेय आशा दीदी द्वारा ईश्वरीय सौगात देकर हनुमान मंदिर के ट्रस्टीयों का सम्मान किया गया एवं सभी ने ब्रह्मा भोजन स्वीकार किया।
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अम्बिकापुर में न्यायविदों तथा विधि वेत्ताओं के लिये कार्यक्रम आयोजित : Jurists Wing Programme
कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथियों का सम्मान तिलक, बैज, गुलदस्ता देकर एवं द्वीप प्रज्वलित कर किया गया।
समाज का हर वर्ग न्याय से जुड़ा हुआ हैं, क्योंकि न्याय एक ऐसा वर्ग है, जो बुद्धि जीवि और जिम्मेवारों को प्राप्त होता है, क्योंकि न्याय का क्षेत्र सबसे श्रेष्ठ और ऊँचा माना जाता है, इसलिये न्याय करना प्रोफेशनल पेशा नहीं है, बल्कि अपने आप में ही एक बहुत बड़ा गुण हैं। इसलिये हर वर्ग के व्यक्ति के जीवन में जब भी कोई समस्या का हल नहीं मिलता है, तो वो न्यायालय का दरवाजा खटखटाता है, और वो वकील या जज के पास एक आशा और विश्वास के साथ पहुँचता है, कि मेरे समस्या का समाधान होगा और सही न्याय मिलेगा इसलिये न्यायालय न्याय का मन्दिर कहलाता उक्त विचार दिल्ली पाण्डव भवन से पधारे ज्युरिस्ट विंग की चेयरपर्सन आदरणीया पुष्पा दीदी जी नव विश्व भवन चोपड़ापारा अम्बिकापुर के सभागार में न्यायविदों और विधि वेत्ताओं को सम्बोधित करते हुये कहा। और आगे उन्होंने अंग्रेजों के समय का उदाहरण देते हुये कहा कि पहले वकीलों का कोई फीस फिक्स नहीं था बल्कि जब जनता के समस्या का समाधान हो जाता था तो वो अपने भावना के एकॉर्डिंग धन दे देते थे। इससे स्पष्ट होता है कि पहले के लोग कितना सेवा भावना, समर्पणता और निष्ठा से कर्म करते थे, जिनका मूल उद्देश्य दुआ कमाना था धन कमाना नहीं। और आगे उन्होंने कानून में आध्यात्मिकता का महत्व समझाते हुये कहा कि यदि कानून में आध्यात्मिकता का समावेश हो जाये तो डगमगायी हुई कानून व्यवस्था को व्यवस्थित करना सरल हो जायेगा। चूँकि आध्यात्मिकता से अन्तर्मन की शक्तियाँ जागृत होती है, जिससे अपनी रियल पहचान कर अपनी बुद्धि को कुशाग्र बना सकते है और मनुष्य अपने जीवन में क्षमा, दया, सेवाभाव और कल्याण की भावना जैसे नैतिक गुणों को जीवन में अपना ले तो प्रत्येक व्यक्ति को सत्य और उचित न्याय दिला पाना सरल और सम्भव है।मुख्य अतिथि भ्राता हेमंत तिवारी जी आदरणीय पुष्पा दीदी जी का सम्मान करते हुए कहा कि अध्यात्म के क्षेत्र में वर्षों से देश- विदेश में मानव कल्याण के लिये, किये जा रहें सेवाओं को शब्दों में बयाँ करना सम्भव नहीं है। आगे उन्होंने कहा कि मनुष्य बिना अध्यात्म और दर्शन के निरंकुश और अमर्यादित होता जा रहा है, जिसे हमारे व सरकारों के द्वारा बनाये गये कानून नियंत्रित नहीं कर सकती। वर्तमान समय छल, कपट, क्रोध और घृणा के वश हो भौतिक संसाधनों को प्राप्त करने में समाज कहीं न कहीं अनियंत्रित होता जा रहा है, जिसे नियंत्रित करने व सही न्याय दिलाने के लिए प्रमाणित चीजों का होना जरूरी है, जो अध्यात्म से ही हमें प्राप्त हो सकता है। यदि हमें अपने व्यक्तित्व को निखारना है, या समाज को सुधारना है, तो हमें अध्यात्म व दर्शन की ओर जाना पड़ेगा ।
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ब्रह्माकुमारीज़ अम्बिकापुर द्वारा शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में शिक्षकों को किया गया सम्मान
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