Brahmakumaris Ambikapur
Ambikapur (Chattisgarh) : Weeklong Rajayoga Camp at Central Jail
Brahma Kumaris begin a weeklong Rajayoga camp at the central Jail to teach the inmates how to calm and strengthen a sad and troubled mind.
Addressing the inmates, Rajyogini BK Vidya told that mind has immense power which has been wasted by waste thoughts. In order to control the mind, we need to understand and nurture positive thoughts into it. She told that body consciousness breeds various evils and subjugated by such evils we perform evil activities which turns us sad and upset. But being soul conscious and associated with the Supreme we become self-contemplative and acquire divine virtues and proceed from mere mortals to divine beings.
Speaking on the benefits of spiritual knowledge provided by Brahma Kumaris the Jail Superintendent Rajendra Gaekwad told the inmates that if men inculcate the spiritual knowledge of Brahma Kumaris in life, crime rate will come down and people will not be required to brought to jail. The jail superintendent also mentioned that the Rajayoga camp has brought about so much change in the life of the prisoners that their face speaks the glance of positivity and mental peace they have from it.
Appreciating the efforts of Brahma Kumaris and Jail Superintendent Gaekwad, Ajaya Hingole and Bijoy Hingole of Sai Trust mentioned that such programmes will change the life of inmates of central jail and will help reduce criminal tendency in the society.
Brahmakumaris Ambikapur
अम्बिकापुर में न्यायविदों तथा विधि वेत्ताओं के लिये कार्यक्रम आयोजित : Jurists Wing Programme
कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथियों का सम्मान तिलक, बैज, गुलदस्ता देकर एवं द्वीप प्रज्वलित कर किया गया।
समाज का हर वर्ग न्याय से जुड़ा हुआ हैं, क्योंकि न्याय एक ऐसा वर्ग है, जो बुद्धि जीवि और जिम्मेवारों को प्राप्त होता है, क्योंकि न्याय का क्षेत्र सबसे श्रेष्ठ और ऊँचा माना जाता है, इसलिये न्याय करना प्रोफेशनल पेशा नहीं है, बल्कि अपने आप में ही एक बहुत बड़ा गुण हैं। इसलिये हर वर्ग के व्यक्ति के जीवन में जब भी कोई समस्या का हल नहीं मिलता है, तो वो न्यायालय का दरवाजा खटखटाता है, और वो वकील या जज के पास एक आशा और विश्वास के साथ पहुँचता है, कि मेरे समस्या का समाधान होगा और सही न्याय मिलेगा इसलिये न्यायालय न्याय का मन्दिर कहलाता उक्त विचार दिल्ली पाण्डव भवन से पधारे ज्युरिस्ट विंग की चेयरपर्सन आदरणीया पुष्पा दीदी जी नव विश्व भवन चोपड़ापारा अम्बिकापुर के सभागार में न्यायविदों और विधि वेत्ताओं को सम्बोधित करते हुये कहा। और आगे उन्होंने अंग्रेजों के समय का उदाहरण देते हुये कहा कि पहले वकीलों का कोई फीस फिक्स नहीं था बल्कि जब जनता के समस्या का समाधान हो जाता था तो वो अपने भावना के एकॉर्डिंग धन दे देते थे। इससे स्पष्ट होता है कि पहले के लोग कितना सेवा भावना, समर्पणता और निष्ठा से कर्म करते थे, जिनका मूल उद्देश्य दुआ कमाना था धन कमाना नहीं। और आगे उन्होंने कानून में आध्यात्मिकता का महत्व समझाते हुये कहा कि यदि कानून में आध्यात्मिकता का समावेश हो जाये तो डगमगायी हुई कानून व्यवस्था को व्यवस्थित करना सरल हो जायेगा। चूँकि आध्यात्मिकता से अन्तर्मन की शक्तियाँ जागृत होती है, जिससे अपनी रियल पहचान कर अपनी बुद्धि को कुशाग्र बना सकते है और मनुष्य अपने जीवन में क्षमा, दया, सेवाभाव और कल्याण की भावना जैसे नैतिक गुणों को जीवन में अपना ले तो प्रत्येक व्यक्ति को सत्य और उचित न्याय दिला पाना सरल और सम्भव है।मुख्य अतिथि भ्राता हेमंत तिवारी जी आदरणीय पुष्पा दीदी जी का सम्मान करते हुए कहा कि अध्यात्म के क्षेत्र में वर्षों से देश- विदेश में मानव कल्याण के लिये, किये जा रहें सेवाओं को शब्दों में बयाँ करना सम्भव नहीं है। आगे उन्होंने कहा कि मनुष्य बिना अध्यात्म और दर्शन के निरंकुश और अमर्यादित होता जा रहा है, जिसे हमारे व सरकारों के द्वारा बनाये गये कानून नियंत्रित नहीं कर सकती। वर्तमान समय छल, कपट, क्रोध और घृणा के वश हो भौतिक संसाधनों को प्राप्त करने में समाज कहीं न कहीं अनियंत्रित होता जा रहा है, जिसे नियंत्रित करने व सही न्याय दिलाने के लिए प्रमाणित चीजों का होना जरूरी है, जो अध्यात्म से ही हमें प्राप्त हो सकता है। यदि हमें अपने व्यक्तित्व को निखारना है, या समाज को सुधारना है, तो हमें अध्यात्म व दर्शन की ओर जाना पड़ेगा ।
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ब्रह्माकुमारीज़ अम्बिकापुर द्वारा शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में शिक्षकों को किया गया सम्मान
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