Brahmakumaris Ambikapur
ब्रह्माकुमारीज में महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम का आयोजन
ब्रह्माकुमारीज में महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम का आयोजन एक श्रेष्ठ समाज का आधार महिलाओं का सम्मान- राजेन्द्र गायकवाड़ अम्बिकापुंर दिनाँक- 07.03.20 प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा नव विश्व भवन चोपड़ापारा में अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में अम्बिकापुर की डी.एफ. ओ. श्रीमती प्रभाकर खलको ने कहा- नारी श शक्ति स्वरूपा हैं। एक नारी में वो सारी शक्तियाँ मौजूद हैं, चाहे वो माँ हो, पत्नी हो, शिक्षक हो, या उच्च या निम्न ओहदे पर विराजमान हो एक उगते हुये सूरज के भांति दूसरे को को भी अपनी शक्तियों से सिंचित करती हैं। सरगुजा की डी.पी.ओ. श्रीमती ज्योति मिंज महिला एवं बाल विकास अधिकारी ने कहा- नारी वास्तव में दुर्गा, लक्ष्मी, काली, सरस्वती स्वरूपा हैं उन्हें केवल अपने अन्दर की क्षमता को पहचानने की जरूरत हैं। प्रत्येक नारी अपने भीतर के देवत्व को समाजहित, एवं राष्ट्रहित के सृजनशीलता में लगाये। सरगुजा संभाग की संचालिका ब्रह्माकुमारी विद्या दीदी ने कहा- एक सशक्त समाज के लिये महिलाओं की भागीदारी आवश्यक हैं। सतयुग के आदिकाल में महिलाओं और पुरूषों को समान अधिकार प्राप्त था लेकिन समय परिवर्तन के साथ महिलायें शारीरिक रूप से कमजोर होने के कारण उन्हें अबला और कमजोर समझने लगे और नारियों ने इस बात को स्वीकार कर मानसिक रूप से कमजोर होती चली गयी। नारी अपने आन्तरिक शक्तियों को जगाकर दुनिया के बड़े- बड़े कार्य को कर सकती हैं। अपने न्यारापन, सहनशीलता, साहस और आत्मचिन्तन द्वारा नारी अपने सभी दायित्वों को पूरा करते हुये सशक्त समाज की रीड़ की हड्डी बनी रहती हैं। हर सफल पुरूष के पीछे एक नारी का ही हाथ होता हैं। समाज सशक्त तब होगा जब हमारे अन्दर आध्यात्म शक्ति होगी और आध्यात्म शक्ति से ही मानव जीवन में सन्तुष्टता और नैतिक मूल्य आते हैं जिससे ही राष्ट्र आगे बढे़गा। और स्वयं को भी परिवर्तन करने की शक्ति आध्यात्म शक्ति से ही आती हैं क्योंकि स्व परिवर्तन से ही विश्व परिवर्तन होगा। और उन्होंने कहा आज माँ- बाप अपने बच्चों को अनेक साधन उनके कहने पर देते है और वही उनके पतन का कारण बनता हैं संस्कार दिये बिना साधन देना उनके पतन का कारण हैं। यदि साधन नहीं देंगे तो बच्चा थोड़ी देर रोयेगा लेकिन संस्कार नहीं देंगे तो जीवन भर रोयेंगे। तथा उन्होंने अपने अन्दर कीे शक्तियों को जागृत करने हेतु योगानुभूति भी कराया। मातृ छाया की अध्यक्ष सुश्री वन्दना दत्ता बहन ने कहा ने कहा कि नारी को हम देवी के रूप में देखें तो हर नारी इन ब्रह्माकुमारी बहनों जैसा समाज परिवर्तन से विश्व परिवर्तन की भूमिका निभा पायेगी। यदि ऐसा हुआ तो हम सब पूरे 365 दिन महिला दिवस मना सकेंगे। एक श्रेष्ठ समाज का आधार महिलाओं का सम्मान हैं कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये अम्बिकापुर के जेल अधीक्षक राजेन्द्र गायकवाड जी ने कहा कि यदि हम महिलाओं को समानता का अधिकार नहीं देते तो संविधान का उलंघन करते हैं। महिलाओं में अभूतपूर्व शक्तियाँ होती हैं इसी कारण परमात्मा ने सृष्टि परिवर्तन के लिये स्थापित इस विद्यालय का संचालन के लिये भी महिलाओं को ही चुना। गायत्री परिवार से श्रीमती सुधा चैधरी जी ने कहा कि नारी के सशक्तिकरण से ही सारे समाज, सारे देश, और खुद का विकास होगा। अन्तर्राष्ट्रय महिला दिवस के कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों ने अपने विचार व्यक्त किया। कार्यक्रम का शुभ उद्घाटन डी. एफ. ओ. प्रभाकर खलको, डी. पी. ओ. ज्योति मिंज महिला एवं बाल विकास अधिकारी, सरगुजा संभाग की संचालिका ब्रह्माकुमारी विद्या दीदी जेल अधीक्षक राजेन्द्र गायकवाड, सुश्री वन्दना दत्ता, श्रीमती सुधा चैधरी – गायत्री परिवार, डाॅ मन्जू शर्मा, डाॅ किरण अग्रवाल स्त्री रोग विशेषज्ञ, सिक्ख समाज की अध्यक्ष महिला- बीबी सुरजीत कौर, सिन्धी समाज की अध्यक्ष महिला- ज्योति पोपटानी इत्यादि अतिथियों ने द्वीप प्रज्जवलन कर किया। तत्पश्चात नृत्य एवं संगीत की प्रस्तुति भी हुई। इस कार्यक्रम में उपरोक्त अतिथियों के अलावा सभा में लगभग 500 लोग इस संस्था से जुडे़ एवं शहर के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। इस कार्यक्रम का सफल संचालन बी. के. पूजा बहन ने किया और बताया कि दिनाँक 11 मार्च से प्रातः 8 से 9 एवं संध्या 6 से 7 बजे तक सात दिवसीय महिला सशक्तिकरण शिविर का आयोजन किया गया हैं। जिसका लाभ उठाये एवं अपने जीवन को खुशहाल बनाये।
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अम्बिकापुर में न्यायविदों तथा विधि वेत्ताओं के लिये कार्यक्रम आयोजित : Jurists Wing Programme
कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथियों का सम्मान तिलक, बैज, गुलदस्ता देकर एवं द्वीप प्रज्वलित कर किया गया।
समाज का हर वर्ग न्याय से जुड़ा हुआ हैं, क्योंकि न्याय एक ऐसा वर्ग है, जो बुद्धि जीवि और जिम्मेवारों को प्राप्त होता है, क्योंकि न्याय का क्षेत्र सबसे श्रेष्ठ और ऊँचा माना जाता है, इसलिये न्याय करना प्रोफेशनल पेशा नहीं है, बल्कि अपने आप में ही एक बहुत बड़ा गुण हैं। इसलिये हर वर्ग के व्यक्ति के जीवन में जब भी कोई समस्या का हल नहीं मिलता है, तो वो न्यायालय का दरवाजा खटखटाता है, और वो वकील या जज के पास एक आशा और विश्वास के साथ पहुँचता है, कि मेरे समस्या का समाधान होगा और सही न्याय मिलेगा इसलिये न्यायालय न्याय का मन्दिर कहलाता उक्त विचार दिल्ली पाण्डव भवन से पधारे ज्युरिस्ट विंग की चेयरपर्सन आदरणीया पुष्पा दीदी जी नव विश्व भवन चोपड़ापारा अम्बिकापुर के सभागार में न्यायविदों और विधि वेत्ताओं को सम्बोधित करते हुये कहा। और आगे उन्होंने अंग्रेजों के समय का उदाहरण देते हुये कहा कि पहले वकीलों का कोई फीस फिक्स नहीं था बल्कि जब जनता के समस्या का समाधान हो जाता था तो वो अपने भावना के एकॉर्डिंग धन दे देते थे। इससे स्पष्ट होता है कि पहले के लोग कितना सेवा भावना, समर्पणता और निष्ठा से कर्म करते थे, जिनका मूल उद्देश्य दुआ कमाना था धन कमाना नहीं। और आगे उन्होंने कानून में आध्यात्मिकता का महत्व समझाते हुये कहा कि यदि कानून में आध्यात्मिकता का समावेश हो जाये तो डगमगायी हुई कानून व्यवस्था को व्यवस्थित करना सरल हो जायेगा। चूँकि आध्यात्मिकता से अन्तर्मन की शक्तियाँ जागृत होती है, जिससे अपनी रियल पहचान कर अपनी बुद्धि को कुशाग्र बना सकते है और मनुष्य अपने जीवन में क्षमा, दया, सेवाभाव और कल्याण की भावना जैसे नैतिक गुणों को जीवन में अपना ले तो प्रत्येक व्यक्ति को सत्य और उचित न्याय दिला पाना सरल और सम्भव है।मुख्य अतिथि भ्राता हेमंत तिवारी जी आदरणीय पुष्पा दीदी जी का सम्मान करते हुए कहा कि अध्यात्म के क्षेत्र में वर्षों से देश- विदेश में मानव कल्याण के लिये, किये जा रहें सेवाओं को शब्दों में बयाँ करना सम्भव नहीं है। आगे उन्होंने कहा कि मनुष्य बिना अध्यात्म और दर्शन के निरंकुश और अमर्यादित होता जा रहा है, जिसे हमारे व सरकारों के द्वारा बनाये गये कानून नियंत्रित नहीं कर सकती। वर्तमान समय छल, कपट, क्रोध और घृणा के वश हो भौतिक संसाधनों को प्राप्त करने में समाज कहीं न कहीं अनियंत्रित होता जा रहा है, जिसे नियंत्रित करने व सही न्याय दिलाने के लिए प्रमाणित चीजों का होना जरूरी है, जो अध्यात्म से ही हमें प्राप्त हो सकता है। यदि हमें अपने व्यक्तित्व को निखारना है, या समाज को सुधारना है, तो हमें अध्यात्म व दर्शन की ओर जाना पड़ेगा ।
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ब्रह्माकुमारीज़ अम्बिकापुर द्वारा शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में शिक्षकों को किया गया सम्मान
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