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अम्बिकापुर महानगर में पहली बार लगने जा रहा है  खुशियों का बिग बाजार 10th To 12th May

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खुशियों का बिग बाजार?

भारत के  अम्बिकापुर महानगर में पहली बार लगने जा रहा है  खुशियों का बिग बाजार-Life Changing Program?जहाँ मिलेगी आपको आपकी खुशियों की चाबी (पासवर्ड ऑफ हैप्पीनेस)

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अम्बिकापुर में न्यायविदों तथा विधि वेत्ताओं के लिये कार्यक्रम आयोजित : Jurists Wing Programme

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अम्बिकापुर में न्यायविदों तथा विधि वेत्ताओं के लिये कार्यक्रम
अम्बिकापुर-ः प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय एवं राजयोग एजुकेशन एण्ड रिसर्च फाउंडेशन के ज्यूरिस्ट विंग के तत्वाधान में यथार्थ न्याय में आध्यात्मिकता की भूमिका विषय पर न्यायविदों तथा विधि वेत्ताओं के लिये कार्यक्रम आयोजित किया गया। दिल्ली पांडव भवन से पधारी ज्यूरिस्ट विंग की चेयरपर्सन आदरणीया पुष्पा दीदी जी की अध्यक्षता में,कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम में अध्यक्ष अधिवक्ता संघ जिला न्यायालय अम्बिकापुर भ्राता हेमंत तिवारी जी, सचिव अधिवक्ता संघ जिला न्यायालय अंबिकापुर भ्राता विजय तिवारी जी, वरिष्ठ अधिवक्ता दिलीप कुमार विश्वास जी, सरगुजा संभाग की संचालिका ब्रह्माकुमारी विद्या दीदी उपस्थित थे।
कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथियों का सम्मान तिलक, बैज, गुलदस्ता देकर एवं द्वीप प्रज्वलित कर किया गया।

समाज का हर वर्ग न्याय से जुड़ा हुआ हैं, क्योंकि न्याय एक ऐसा वर्ग है, जो बुद्धि जीवि और जिम्मेवारों को प्राप्त होता है, क्योंकि न्याय का क्षेत्र सबसे श्रेष्ठ और ऊँचा माना जाता है, इसलिये न्याय करना प्रोफेशनल पेशा नहीं है, बल्कि अपने आप में ही एक बहुत बड़ा गुण हैं। इसलिये हर वर्ग के व्यक्ति के जीवन में जब भी कोई समस्या का हल नहीं मिलता है, तो वो न्यायालय का दरवाजा खटखटाता है, और वो वकील या जज के पास एक आशा और विश्वास के साथ पहुँचता है, कि मेरे समस्या का समाधान होगा और सही न्याय मिलेगा इसलिये न्यायालय न्याय का मन्दिर कहलाता उक्त विचार दिल्ली पाण्डव भवन से पधारे ज्युरिस्ट विंग की चेयरपर्सन आदरणीया पुष्पा दीदी जी नव विश्व भवन चोपड़ापारा अम्बिकापुर के सभागार में न्यायविदों और विधि वेत्ताओं को सम्बोधित करते हुये कहा। और आगे उन्होंने अंग्रेजों के समय का उदाहरण देते हुये कहा कि पहले वकीलों का कोई फीस फिक्स नहीं था बल्कि जब जनता के समस्या का समाधान हो जाता था तो वो अपने भावना के एकॉर्डिंग धन दे देते थे। इससे स्पष्ट होता है कि पहले के लोग कितना सेवा भावना, समर्पणता और निष्ठा से कर्म करते थे, जिनका मूल उद्देश्य दुआ कमाना था धन कमाना नहीं। और आगे उन्होंने कानून में आध्यात्मिकता का महत्व समझाते हुये कहा कि यदि कानून में आध्यात्मिकता का समावेश हो जाये तो डगमगायी हुई कानून व्यवस्था को व्यवस्थित करना सरल हो जायेगा। चूँकि आध्यात्मिकता से अन्तर्मन की शक्तियाँ जागृत होती है, जिससे अपनी रियल पहचान कर अपनी बुद्धि को कुशाग्र बना सकते है और मनुष्य अपने जीवन में क्षमा, दया, सेवाभाव और कल्याण की भावना जैसे नैतिक गुणों को जीवन में अपना ले तो प्रत्येक व्यक्ति को सत्य और उचित न्याय दिला पाना सरल और सम्भव है।मुख्य अतिथि भ्राता हेमंत तिवारी जी आदरणीय पुष्पा दीदी जी का सम्मान करते हुए कहा कि अध्यात्म के क्षेत्र में वर्षों से देश- विदेश में मानव कल्याण के लिये, किये जा रहें सेवाओं को शब्दों में बयाँ करना सम्भव नहीं है। आगे उन्होंने कहा कि मनुष्य बिना अध्यात्म और दर्शन के निरंकुश और अमर्यादित होता जा रहा है, जिसे हमारे व सरकारों के द्वारा बनाये गये कानून नियंत्रित नहीं कर सकती। वर्तमान समय छल, कपट, क्रोध और घृणा के वश हो भौतिक संसाधनों को प्राप्त करने में समाज कहीं न कहीं अनियंत्रित होता जा रहा है, जिसे नियंत्रित करने व सही न्याय दिलाने के लिए प्रमाणित चीजों का होना जरूरी है, जो अध्यात्म से ही हमें प्राप्त हो सकता है। यदि हमें अपने व्यक्तित्व को निखारना है, या समाज को सुधारना है, तो हमें अध्यात्म व दर्शन की ओर जाना पड़ेगा ।

सरगुजा संभाग की सेवाकेन्द्र संचालिका ब्रह्माकुमारी विद्या दीदी अतिथियों का स्वागत व सम्मान करते हुए कि न्याय के लिये आध्यात्मिकता होना जरूरी है, जीवन में सही निर्णय लेने के लिये एकाग्र व स्वच्छ मन एवं समान भावना जैसे गुणों की आवश्यकता होती, जो आध्यात्मिकता से ही प्राप्त होती है और आध्यात्मिकता के द्वारा ही हमें कर्मों की गुह्नता का ज्ञान प्राप्त होता है, जिससे हम यथार्थ निर्णय लेने में सक्षम होते है।
विशिष्ट अतिथि विजय तिवारी जी ने कहा कि यथार्थ न्याय की कल्पना मानव जाति को अध्यात्म के शरण में जाये बिना नहीं मिल सकता हैं। वास्तव में कानून वो मकड़ी का जाल है, जिसमें गरीब फँस जाते है और अमीर निकल जाते है, लेकिन समाज में यथार्थ न्याय तभी हो सकता है, जब हमारी सोच ऊँची, सकारात्मक और मानव कल्याण अर्थ होगी। और आगे उन्होंने कहा कि हमारे विधि में न्याय के लिये न्यायाधीष बनाया गया है, लेकिन परम न्यायाधीश तो परमात्मा ही है, जो जन्म से लेकर मृत्यु तक हर बात में यथार्थ न्याय प्राकृतिक रूप से करते हैं।भ्राता दिलीप कुमार विश्वास जी ने कहा कि यथार्थ निर्णय में आध्यात्मिकता की भूमिका विषय, बहुत असीमित विषय है। आध्यात्मिकता आत्म अनुभूति व ईश्वरीय शक्ति है। ईश्वर नायक है, और उसका प्रतिनिधि धरती पर वकील के रूप में है, यदि किसी का कुछ गलत हो जाता है, तो उसे वकील ही बना सकता है। उन्होंने आगे कहा कि कोई भी न्याय तीन पक्ष के बिना नहीं हो सकता है, एक द्वन्द्वी, दूसरा प्रतिद्वंद्वी और तीसरा जज। तीनों न्यायविद होते है, जब तीनों मौजूद होते है, तो कोटा पूरा होता है।
कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत गौरी व परी के द्वारा स्वागत नृत्य प्रस्तुत कर किया गया।कार्यक्रम के पश्चात् सभी ने ब्रह्माभोजन स्वीकार किया।कार्यक्रम का सफल संचालन बी. के. प्रतिमा बहन ने किया।
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ब्रह्माकुमारीज़ अम्बिकापुर द्वारा शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में शिक्षकों को किया गया सम्मान

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आजादी के अमृत महोत्सव के अन्तर्गत एवं महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर स्वर्णिम भारत के निर्माण में संतो की भूमिका

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महाशिवरात्रि के पावन पुनीत अवसर पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय अंबिकापुर द्वारा सर्वधर्म समागम आज 27 फरवरी 2022 शाम 5: 30  बजे से  एवं नशा मुक्ति रथ का उद्घाटन
अम्बिकापुर-ः प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा 27 फरवरी 2022 संध्या 6ः00 बजे से नव विष्व भवन चोपड़ापारा में 75 वें आजादी के अमृत महोत्सव के अन्तर्गत एवं महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर स्वर्णिम भारत के निर्माण में संतो की भूमिका विषय पर सर्व धर्म समागम कार्यक्रम आयोजन किया जा रहा हैं।
भारतवर्ष सम्पूर्ण विश्व में अनादि- अविनाशी रहा हैं। यह धरा परमात्मा शिव व के अवतरण के साथ- साथ देवी- देवताओं, ऋषि- मुनियों, धर्म संस्थापकों, योगियों, दार्षनिक तथा समाज सुधारकों की जन्म, कर्म और विचार भूमि के रूप में जाना जाता रहा है। भारत देश शांति  के पक्षधर हैं और पूरी दुनिया में विश्वगुरू के रूप में भूमिका निभाई है। तथा हमारे देश में संत- महात्माओं ने अपने त्याग- तपस्या एवं दिव्य कर्मों से भारत की संस्कृति और सभ्यता को बनाये रखने का प्रयास करते रहे हैं। और देश के लोगों को अहिंसा, सत्यता, आत्मिक प्रेम, वात्सल्य, जीवन – मूल्य और श्रेष्ठ मार्गदर्षन को जीवन में उतारने की प्रेरणा सदा ही दिया। फिर से भारत को स्वर्णिम बनाने के लिये सभी धर्म वालों को मिलकर देश और विदेश में जाति, धर्त प्रांत, रंग एवं भाषा भेद को मिटाकर अध्यात्म, एकता एवं बधुत्व भाव से बेहतर समाज की स्थापना करना यही संत समागम का लक्ष्य हैं। और इसी परिसंकल्पना को पुर्नउत्थान करने के लिये ब्रह्माकुमारीज़ संस्था धार्मिक प्रभाग द्वारा सर्व धर्म समागम अंबिकापुर सेवाकेन्द्र पर कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में भ्राता सफी अहमद जी अध्यक्ष श्रम कल्याण बोर्ड छ.ग. शासन, भ्राता अजय कुमार तिर्की जी महापौर अम्बिकापुर, त्रिलोक कपूर कुषवाहा जी अध्यक्ष प्रेस क्लब अम्बिकापुर, श्री गुरूद्वारा सिंह सभा अम्बिकापुर, भ्राता अषोक जैन जी अध्यक्ष जैन समाज, केन्द्रीय जेल अधीक्षक राजेन्द्र गायकवाड़ जी बौद्ध समाज, फादर सुषील तिग्गा जी प्राचार्य बी.एड कॉलेज सेन्स जेवियर्स, तन्मायनंद जी प्राचार्य विवेकानन्द स्कूल पुलिस अधीक्षक अमित तुकाराम काम्बले जी, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विवेक शुक्ला जी
 एवं सरगुजा संभाग की सेवाकेन्द्र संचालिका ब्रह्माकुमारी विद्या दीदी कार्यक्रम में उपस्थित रहेंगे।
ब्रह्माकुमारी विद्या दीदी ने बताया कि भारत देश को फिर से स्वतंत्र, स्वछन्द, रामराज्य और विश्वगुरू बनाना हैं इसलिये इस कार्य को करने में हमारे देश के संतो की बहुत बड़ा योगदान था और अब भी रहेगा। और उन्होंने इस कार्यक्रम में सभी शहरवासियों को सादर सम्मान सहित सह परिवार आमंत्रित किया हैं। यह कार्यक्रम नव विष्व भवन चोपड़ापारा ब्रह्माकुमारी सेवाकेन्द्र में ही रखा गया।  तो आप सभी इस कार्यक्रम में सहभागी बनने हेतु आमंत्रित हैं।
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