Brahmakumaris Ambikapur
अम्बिकापुर के केन्द्रीय जेल में प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज ईशवरीय विश्व विद्यालय द्वार महाशिवरात्रिका पावन पर्व
अम्बिकापुर के केन्द्रीय जेल में प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज ईशवरीय विश्व विद्यालय द्वार महाशिवरात्रिका पावन पर्व पर शिव परमात्मा का 84 वाँ जन्मोत्सव केक कटिंग कर बहुत धूमधाम से मनाया गया। जिसमें जेल अधीक्षक राजेन्द्र गायकवाड़ जी, सरगुजा संभाग की संचालिका बी. के. विद्या दीदी जी एवं लगभग 700 कैदी भाई- बहनें उपस्थित थे। जेल अधीक्षक राजेन्द्र गायकवाड़ जी ने कहा कि इन्सानियत का मतलब हैं एक ऐसा इन्सान बने जिसमें सात्विकता, पवित्रता, सच्चाई, समझदारी एवं सबके दुःख, पीड़ा को समझते हुये उनका मद्द करें एवं उन्हें आगे बढ़ाये। कैदियों को प्रेरित करते हुये कहा कि आलस्य, अलबेलेपन एवं बहानेबाजी रूपी शत्रु को छोड़कर अपने जीवन को सदैव उमंग- उत्साह में रख उत्साहित रखे। सरगुजा की संचालिका बी. के. विद्या दीदी ने महाशिवरात्रि के पावन पर्व का महत्व बताते हुये कहा कि उपवास अर्थात् अपने अन्दर की बुराईयों एवं कमजोरियों को छोड सदा अपने भीतर की षक्तियों को पहचान सही एवं गलत का निर्णय करें। एवं बुराईयों रूपी, अक, धतूरा फूल अर्पण कर मन- वचन- कर्म से पवित्र बने एवं सभी लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करे। क्योंकि स्वपरिवर्तन से ही विश्व परिवर्तन होगा । जेल अधीक्षक राजेन्द्र गायकवाड़ जी, सरगुजा संभाग की संचालिका बी. के. विद्या दीदी जी ब्रह्माकुमारी बहने एवं कैदी भाइयों द्वारा जेल में शिवध्वाजारोहण किया गया। शिवध्वजारोहण के नीचे सभी कैदियों ने प्रतिज्ञा करते हुये दृढ़ संकल्प किया कि हम सदा खुष रहकर सभी को खुशी देंगे, एवं आलस्य अलबेलेपन, बहानेबाजी रूपी अवगुणों त्याग कर षिवबाबा को याद कर जीवन को श्रेष्ठ बनायेंगे। किसी का अवगुण नहीं देखेंगे। ब्रह्माकुमारी द्वारा सीखाये गये राजयोग क्लास को करीब 1 महीने से प्रतिदिन सुनने वाले कैदी भाईयों ने अपने जीवन का अनुभव सुनाया कि राजयोग के द्वारा हमारे जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आ रहा हैं और हम अभारी ह जेल अधीक्षक राजेन्द्र गायकवाड़ जी एवं ब्रह्माकुमारी बहनों के जो जेल में भी हमें इतनी अच्छी सकारात्मक विचार देकर हमारे जीवन को परिवर्तन कर रहे हैैं। कार्यक्रम के पश्चात् सभी कैदी भाई एवं बहनों को प्रसाद वितरण किया गया।
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अम्बिकापुर में न्यायविदों तथा विधि वेत्ताओं के लिये कार्यक्रम आयोजित : Jurists Wing Programme
कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथियों का सम्मान तिलक, बैज, गुलदस्ता देकर एवं द्वीप प्रज्वलित कर किया गया।
समाज का हर वर्ग न्याय से जुड़ा हुआ हैं, क्योंकि न्याय एक ऐसा वर्ग है, जो बुद्धि जीवि और जिम्मेवारों को प्राप्त होता है, क्योंकि न्याय का क्षेत्र सबसे श्रेष्ठ और ऊँचा माना जाता है, इसलिये न्याय करना प्रोफेशनल पेशा नहीं है, बल्कि अपने आप में ही एक बहुत बड़ा गुण हैं। इसलिये हर वर्ग के व्यक्ति के जीवन में जब भी कोई समस्या का हल नहीं मिलता है, तो वो न्यायालय का दरवाजा खटखटाता है, और वो वकील या जज के पास एक आशा और विश्वास के साथ पहुँचता है, कि मेरे समस्या का समाधान होगा और सही न्याय मिलेगा इसलिये न्यायालय न्याय का मन्दिर कहलाता उक्त विचार दिल्ली पाण्डव भवन से पधारे ज्युरिस्ट विंग की चेयरपर्सन आदरणीया पुष्पा दीदी जी नव विश्व भवन चोपड़ापारा अम्बिकापुर के सभागार में न्यायविदों और विधि वेत्ताओं को सम्बोधित करते हुये कहा। और आगे उन्होंने अंग्रेजों के समय का उदाहरण देते हुये कहा कि पहले वकीलों का कोई फीस फिक्स नहीं था बल्कि जब जनता के समस्या का समाधान हो जाता था तो वो अपने भावना के एकॉर्डिंग धन दे देते थे। इससे स्पष्ट होता है कि पहले के लोग कितना सेवा भावना, समर्पणता और निष्ठा से कर्म करते थे, जिनका मूल उद्देश्य दुआ कमाना था धन कमाना नहीं। और आगे उन्होंने कानून में आध्यात्मिकता का महत्व समझाते हुये कहा कि यदि कानून में आध्यात्मिकता का समावेश हो जाये तो डगमगायी हुई कानून व्यवस्था को व्यवस्थित करना सरल हो जायेगा। चूँकि आध्यात्मिकता से अन्तर्मन की शक्तियाँ जागृत होती है, जिससे अपनी रियल पहचान कर अपनी बुद्धि को कुशाग्र बना सकते है और मनुष्य अपने जीवन में क्षमा, दया, सेवाभाव और कल्याण की भावना जैसे नैतिक गुणों को जीवन में अपना ले तो प्रत्येक व्यक्ति को सत्य और उचित न्याय दिला पाना सरल और सम्भव है।मुख्य अतिथि भ्राता हेमंत तिवारी जी आदरणीय पुष्पा दीदी जी का सम्मान करते हुए कहा कि अध्यात्म के क्षेत्र में वर्षों से देश- विदेश में मानव कल्याण के लिये, किये जा रहें सेवाओं को शब्दों में बयाँ करना सम्भव नहीं है। आगे उन्होंने कहा कि मनुष्य बिना अध्यात्म और दर्शन के निरंकुश और अमर्यादित होता जा रहा है, जिसे हमारे व सरकारों के द्वारा बनाये गये कानून नियंत्रित नहीं कर सकती। वर्तमान समय छल, कपट, क्रोध और घृणा के वश हो भौतिक संसाधनों को प्राप्त करने में समाज कहीं न कहीं अनियंत्रित होता जा रहा है, जिसे नियंत्रित करने व सही न्याय दिलाने के लिए प्रमाणित चीजों का होना जरूरी है, जो अध्यात्म से ही हमें प्राप्त हो सकता है। यदि हमें अपने व्यक्तित्व को निखारना है, या समाज को सुधारना है, तो हमें अध्यात्म व दर्शन की ओर जाना पड़ेगा ।
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ब्रह्माकुमारीज़ अम्बिकापुर द्वारा शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में शिक्षकों को किया गया सम्मान
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